लेखनी प्रतियोगिता -04-Nov-2022 भ्रम
ना वो है मेरा
बस भ्रम है ये ख्वाब सुनहरा
भ्रम है अपनेपन की परछाई
भ्रम में अब तलक जीती आई
भ्रम है प्यार के सारे अहसास
भ्रम ही तो है उससे जुड़ी हर आस
भ्रम से ये मन सदा ही गया छला
हर कदम भ्रम भरा ही जीवन मिला
भ्रम है उसके आने की आहट
भ्रम है उसके वादें उसकी चाहत
भ्रम है उसका इंतजार
भ्रम ही तो है उसका प्यार
भ्रम है उसका दिखाया हर ख्वाब
भ्रम है उससे जुड़ी हर याद
भ्रम है मुहब्बत के सारे जज़्बात
सिर्फ भ्रम ही तो है मेरे पास
भ्रम है उसको मैंने पाया
भ्रम है जिसे पाया ही नही
उसे कैसे गंवाया
भ्रम है ये खुशियों भरा जहां
भ्रम है चाहतों का सजा आसमां
हां भ्रम था मेरा
मैं हूं उसके लिए खास
भ्रम था उसके मन में मेरे लिए है अहसास
जब सब कुछ है एक भ्रम
तो क्यों खलती है उसकी कमी
क्यों हैं मेरी आंखे नम
क्यों बिन उसके शून्य सा जीवन
क्यों धीमा चले बिन उसके मन
जीवन का दाग भी
वो राग भी
राज भी वही
अंदाज भी वही
ना उसके संग निभे
ना उसके बिन चले
भ्रम है उसकी चाहत
फिर भी है उसकी आदत
क्यों है वही आभास
क्यों है मन उसका दास
क्यों भ्रम में दिल ढूंढे विश्वास
क्यों जुड़ी है आस
दूर बहुत दूर चली जाऊंगी
भ्रम भरा जीवन और न जी पाऊंगी
ना समझ पाएगा वो कभी जज़्बात
खेल लगे उसे प्यार की बात
चेहरे पर सजाकर रहती हूं भले ही मुस्कान
मन मेरा जैसे जिंदा लाश
भ्रम में जल गई मेरी आस
भ्रम रहा बस मेरे पास
प्यार वफा सब टाइमपास
Gunjan Kamal
15-Nov-2022 04:42 PM
शानदार
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Suryansh
08-Nov-2022 09:34 AM
बहुत ही सुंदर सृजन
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Swati chourasia
05-Nov-2022 08:50 AM
वाह बहुत ही बेहतरीन रचना 👌👌
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